Essay for mere sapno KA bharat......मेरे सपनों का भारत
Essay for mere sapno KA bharat......मेरे सपनों का भारत
भारत हमारी जन्म एवं कर्मभूमि है। भिन्न-भिन्न जाति वर्ग के लोगों के बीच इस देश ने अपनी पारंपरिक सभ्यता-संस्कृति एवं सर्वधर्मसहिष्णुता की भावना के कारण विश्व में अपनी अनूठी पैठ बना रखी है। भारत सदियों से विश्व का मार्गदर्शक बना हुआ है। ऐसे में देश की प्रतिष्ठा दिन-व-दिन धूमिल होती जा रही है।
जहां भारत की सभ्यता-संस्कृति तथा परम्पराओं की पूरे विश्व में प्रशंसा की जाती है और पूरा विश्व उसका अनुकरण कर रहा है] वहीं देश के सामने अनेक समस्याओं ने अपना प्रकोप दिखाना प्रारंभ कर दिया है। देशवासी अनेक मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। बेरोजगारी गरीबी लूटपाट आतंकवाद क्षेत्रवाद तकनीकी कौशलता का अल्प प्रयोग कृषिगत समस्याएं राजनीतिक उथल-पुथल भ्रष्टाचार आदि ने देश के विकास को रोक रखा है तथा देश में अशांति का माहौल बना रखा है। अत मैं एक ऐसे सुनहरे भारत की कल्पना करता हूं जो हर क्षेत्र में विश्व का अग्रणी राष्ट्र हो फिर चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या साहित्य अथवा उघोग-धंधे।
मैं अपने देश भारत को विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर अंगित करना चाहता हूं। यह तभी संभव है जब देश का हर नागरिक अपने दायित्वों का निर्वाह भलीभांति करेगा। लोग अपने जिम्मेदारियों को समझेंगे और भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करेंगे। हमारे देश का विकास अवरोधित हो चुका है इसका सर्वप्रमुख कारण देश में व्याप्त भ्रष्टाचार है। यह हमारे देश की बुनियाद को ही खोखला कर रहा है। हर व्यकित किसी न किसी रूप में या तो भ्रष्टाचार कर रहे हैं या उसके साक्षी बन रहे हैं।
अतः यदि हम अपने देश भारत को पूनः उसकी गरिमा दिलाना चाहते हैं और उसे वही सोने की चिडि़या बनाना चाहते हैं तो हमें अपने राष्ट्र में व्याप्त तमाम बुराइयों को मिलजुलकर मिटाना होगा। अगर हमारा सहयोग रहा तो वह दिन दूर नहीं जब फिर से हमारा देश अमन] चैन और खुशहाली की मिशाल होगा।
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मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत एक ऐसा भारत है जहाँ पर हर एक मनुष्य को गर्व हो की वो भारतीय है। जहाँ गरीबी का नामो निशान भी नहीं हो, हर तरफ हरयाली और खुशियाँ हों। शुद्ध पर्यावरण और सुंदर प्रकृति हो, सभी को रोज़गार मिले, ग्रामीण छेत्रों में साफ़ पानी, बिजली, स्कूल, और अस्पताल हों। मेरे सपनों के भारत में भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और साम्प्रदायक दंगे कभी न हों, सड़कों पर गड्ढे न हों, बढ़ती आबादी की वजह से हर जगह भीड़ न हो, लोगों को अपने सपने पूरा करने के लिए विदेश न जाना पड़े, आतंकवाद की घटनाएं न हों आदि।
मैंने सपना देखा है की भारत में हर इंसान पढ़ा लिखा हो और ये तभी संभव है जब शिक्षा का सही तरह से प्रसार होगा। गाँव के लोगों में शिक्षा के प्रति उत्साह पैदा होगा तभी देश उन्नति की ओर कदम रखेगा। यह ध्यान रखना होगा की साम्प्रदायक दंगों पर रोक लगायी जाए। हिन्दू , मुस्लिम , सिख , इसाई , मिलजुल कर रहें और सभी में भाईचारे की भावना हो। जैसे-जैसे हम प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं प्रदूषण बढ़ता जा रहा है , सड़कों को चौड़ा करने के लिए जहाँ तहां पेड़ काटे जा रहे हैं, प्रकृति पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में गर्मी बढ़ती जा रही है और ठण्ड के मौसम में ठण्ड। बढ़ती जनसँख्या को और बेरोज़गारी को ख़तम करना बहुत जरुरी है।
मैंने अपने सपनों में इतना सुंदर भारत देखा तो है लेकिन इस सपने को पूरा होने के लिए अभी बहुत समय बाकि है, बल्कि ऐसा लगता है की ये सपना पूरा होगा भी या नहीं । जो कुछ भी मैंने देखा है कहीं सपना ही बन कर न रह जाये । आज जिस ओर देखो समस्याएं ही समस्याएं हैं जिसे देखो अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचता है । नेता देश का सुधार करने की जगह धन कमाने में लगे हुए हैं , अगर भारत के नेता इमानदारी से काम करें और भ्रष्ट नेताओं से मुक्ति पा ली जाए तो काफी मुश्किलें आसान हो जाएगीं ।
जब सभी देशवासी देश को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करेंगें तो वोह दिन दूर नहीं जब मेरा यह सपना सच हो जाएगा। और में गर्व से कह पाऊँगी की ये है मेरे सपनों का भारत।
Essay for mere sapno KA bharat......मेरे सपनों का भारत
भारत हमारी जन्म एवं कर्मभूमि है। भिन्न-भिन्न जाति वर्ग के लोगों के बीच इस देश ने अपनी पारंपरिक सभ्यता-संस्कृति एवं सर्वधर्मसहिष्णुता की भावना के कारण विश्व में अपनी अनूठी पैठ बना रखी है। भारत सदियों से विश्व का मार्गदर्शक बना हुआ है। ऐसे में देश की प्रतिष्ठा दिन-व-दिन धूमिल होती जा रही है।
जहां भारत की सभ्यता-संस्कृति तथा परम्पराओं की पूरे विश्व में प्रशंसा की जाती है और पूरा विश्व उसका अनुकरण कर रहा है] वहीं देश के सामने अनेक समस्याओं ने अपना प्रकोप दिखाना प्रारंभ कर दिया है। देशवासी अनेक मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। बेरोजगारी गरीबी लूटपाट आतंकवाद क्षेत्रवाद तकनीकी कौशलता का अल्प प्रयोग कृषिगत समस्याएं राजनीतिक उथल-पुथल भ्रष्टाचार आदि ने देश के विकास को रोक रखा है तथा देश में अशांति का माहौल बना रखा है। अत मैं एक ऐसे सुनहरे भारत की कल्पना करता हूं जो हर क्षेत्र में विश्व का अग्रणी राष्ट्र हो फिर चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या साहित्य अथवा उघोग-धंधे।
मैं अपने देश भारत को विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर अंगित करना चाहता हूं। यह तभी संभव है जब देश का हर नागरिक अपने दायित्वों का निर्वाह भलीभांति करेगा। लोग अपने जिम्मेदारियों को समझेंगे और भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करेंगे। हमारे देश का विकास अवरोधित हो चुका है इसका सर्वप्रमुख कारण देश में व्याप्त भ्रष्टाचार है। यह हमारे देश की बुनियाद को ही खोखला कर रहा है। हर व्यकित किसी न किसी रूप में या तो भ्रष्टाचार कर रहे हैं या उसके साक्षी बन रहे हैं।
अतः यदि हम अपने देश भारत को पूनः उसकी गरिमा दिलाना चाहते हैं और उसे वही सोने की चिडि़या बनाना चाहते हैं तो हमें अपने राष्ट्र में व्याप्त तमाम बुराइयों को मिलजुलकर मिटाना होगा। अगर हमारा सहयोग रहा तो वह दिन दूर नहीं जब फिर से हमारा देश अमन] चैन और खुशहाली की मिशाल होगा।
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मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत एक ऐसा भारत है जहाँ पर हर एक मनुष्य को गर्व हो की वो भारतीय है। जहाँ गरीबी का नामो निशान भी नहीं हो, हर तरफ हरयाली और खुशियाँ हों। शुद्ध पर्यावरण और सुंदर प्रकृति हो, सभी को रोज़गार मिले, ग्रामीण छेत्रों में साफ़ पानी, बिजली, स्कूल, और अस्पताल हों। मेरे सपनों के भारत में भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और साम्प्रदायक दंगे कभी न हों, सड़कों पर गड्ढे न हों, बढ़ती आबादी की वजह से हर जगह भीड़ न हो, लोगों को अपने सपने पूरा करने के लिए विदेश न जाना पड़े, आतंकवाद की घटनाएं न हों आदि।
मैंने सपना देखा है की भारत में हर इंसान पढ़ा लिखा हो और ये तभी संभव है जब शिक्षा का सही तरह से प्रसार होगा। गाँव के लोगों में शिक्षा के प्रति उत्साह पैदा होगा तभी देश उन्नति की ओर कदम रखेगा। यह ध्यान रखना होगा की साम्प्रदायक दंगों पर रोक लगायी जाए। हिन्दू , मुस्लिम , सिख , इसाई , मिलजुल कर रहें और सभी में भाईचारे की भावना हो। जैसे-जैसे हम प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं प्रदूषण बढ़ता जा रहा है , सड़कों को चौड़ा करने के लिए जहाँ तहां पेड़ काटे जा रहे हैं, प्रकृति पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में गर्मी बढ़ती जा रही है और ठण्ड के मौसम में ठण्ड। बढ़ती जनसँख्या को और बेरोज़गारी को ख़तम करना बहुत जरुरी है।
मैंने अपने सपनों में इतना सुंदर भारत देखा तो है लेकिन इस सपने को पूरा होने के लिए अभी बहुत समय बाकि है, बल्कि ऐसा लगता है की ये सपना पूरा होगा भी या नहीं । जो कुछ भी मैंने देखा है कहीं सपना ही बन कर न रह जाये । आज जिस ओर देखो समस्याएं ही समस्याएं हैं जिसे देखो अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचता है । नेता देश का सुधार करने की जगह धन कमाने में लगे हुए हैं , अगर भारत के नेता इमानदारी से काम करें और भ्रष्ट नेताओं से मुक्ति पा ली जाए तो काफी मुश्किलें आसान हो जाएगीं ।
जब सभी देशवासी देश को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करेंगें तो वोह दिन दूर नहीं जब मेरा यह सपना सच हो जाएगा। और में गर्व से कह पाऊँगी की ये है मेरे सपनों का भारत।
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